Bharat Jodo Nyay Yatra: राहुल गाँधी एक बार फिर से शुरू करने जा रहे हैं ‘भारत जोड़ो यात्रा’…

भारत जोड़ो न्याय यात्रा: कांग्रेस ने सितम्बर 2022 में भारत राष्ट्र को एकजुट करने के लिए ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का आयोजन किया। ये यात्रा कन्याकुमारी से होते हुए कश्मीर तक गई। इसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी जी के साथ 100 से अधिक नेता भी थे और हजारों समर्थक भी इस यात्रा से जुड़े। ये यात्रा 2 केंद्र शासित प्रदेश और 12 राज्यों से होकर गुजरी।

Bharat Jodo Nyay Yatra: राहुल गाँधी एक बार फिर से शुरू करने जा रहे हैं ‘भारत जोड़ो यात्रा’...
भारत जोड़ो न्याय यात्रा

इस पद यात्रा की कुल दूरी 3570 किलोमीटर थी जो भारत के 14 राज्यों से होकर 150 दिनों तक चली। इस यात्रा के बाद राहुल गाँधी को देश के कोने-कोने से प्यार मिला और लोग उनके साथ जुड़ते चलते गए। ठीक उसी तर्ज पर एक बार फिर से राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ की शुरुआत करने वाले हैं। जो 14 जनवरी 2024 से शुरू होगी। आइए आगे बात करते हैं इसके बारे में विस्तार से।

भारत जोड़ो न्याय यात्रा

एक बार फिर से Rahul gandhi bharat jodo yatra का दूसरा चरण शुरू करने जा रही है। इस बार इसका नाम जोगा “भारत जोड़ो न्याय यात्रा” जो भारत के 15 राज्यों से होकर गुजरेगी, यह यात्रा 67 दिनों तक चलेगी और इसकी कुल दूरी 6700 किलोमीटर बताई जा रही है। नीचे आपको bharat jodo yatra route के बारे में देखने को मिलेगा।

भारत जोड़ो न्याय यात्रा
भारत जोड़ो न्याय यात्रा

इस यात्रा का मकसद सामजिक, आर्थिक और राजनीक्तिक न्याय है। Bharat Jodo Nyay Yatra 14 जनवरी से शुरू होते हुए 20 मार्च को मुंबई में ख़तम होगी। कांग्रेस ने बताया कि यह यात्रा किसानों, गरीबों, युवाओं और महिलाओं के लिए है। इसका राजनीति या आने वाले चुनाव से कोई लेना देना नहीं है।

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इन राज्यों से होकर गुजरेगी

भारत जोड़ो न्याय यात्रा 14 जनवरी से शुरू होगी और यह यात्रा मणिपुर से शुरू होकर नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और अंत में महाराष्ट्र पहुंचेगी जहाँ 20 मार्च को इसका समापन होगा।

मणिपुर से क्यों शुरू हो रही यात्रा ?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजयसभा सदस्य ने वेणुगोपाल ने बताया कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा को मणिपुर से शुरू करने का मकसद यह है कि मणिपुर पर गहरे घाव हैं इन्हे भरा जाना चाहिए, इस राज्य को न्याय की जरुरत है। क्यूंकि कुछ समय पहले मणिपुर में जो हुआ सभी देशवासियों ने देखा लेकिन सत्ता में बैठे लोगों ने इसपर जरा भी ध्यान नहीं दिया।

साथ ही उन्होंने बताया कि इस यात्रा का कोई राजनितिक उद्देश्य नहीं है यह राज्य के युवाओं, किसानों और महिलाओं के न्याय के लिए है। इसका चुनाव प्रचार से कोई लेना देना नहीं है और यह शांतिपूर्ण तरीके से होगी।

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राहुल गाँधी की जोड़ो यात्रा से छवि

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से देश को एकजुट करने के लिए 2022 में इसकी शुरुआत की थी। जिसके बाद से उनकी छवि में परिवर्तन देखने को मिला, देशवासियों ने उन्हें बहुत प्यार दिया और समर्थन दिया।

राहुल गाँधी की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य था “भारत को एकजुट करके, मिलकर देश को मज़बूत बनाना” यात्रा के दौरान उन्होंने बार-बार सरकार पर निशाने साधते हुए महंगाई, बेरोजगारी, पड़ोसी मुल्क का हमारी सीमा में दखल करना आदि पर मुद्दा उठाया।

उन्होंने देश के उद्योगपतियों जैसे:- अम्बानी, अडानी पर भी सरकार से सवाल पूछे। साथ ही पूरी यात्रा में वो यही सन्देश देते रहे कि वे पूरे देश में नफरत के खिलाफ मोहब्बत की दुकान खोलना चाहते हैं।

38 साल पहले भी हुई थी भारत जोड़ो यात्रा

सियासत में इस प्रकार की यात्राएं पहली भी कई बार हो चुकी हैं। बड़े-बड़े राजनेता अपनी बात को जनता तक पहुँचाने और उनसे जुड़ने के लिए ऐसी राजनितिक यात्रा करते हैं। आपको जानकार हैरानी होगी की 38 साल पहले भी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ निकली थी।

इस यात्रा को सन 1984 में गांधीवादी समाजसेवी 70 वर्षीय बाबा आमटे ने शुरू किया था। इस समय देश में स्वर्ण मंदिर में चल रहे ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद तनाव पैदा हो गया था। देश में हर जगह हिंसा और टकराव शुरू हो गए।

देश की शांति और अखंडता भंग हो गई थी, इसी साल गाँधी की भी हत्या हुई थी, देश की राजधानी दिल्ली में सिक्खों के खिलाफ हो रही हिंसा से हर तरफ माहौल ख़राब चल रहा था।

इन सबके बीच बाबा आमटे ने राष्ट्रीय अखंडता का सन्देश चारों तरफ फैलाने के लिए ‘भारत छोड़ो यात्रा’ की शुरुआत की। इन्होने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए सन 1984 में कश्मीर से कन्याकुमारी तक और अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक इस यात्रा को चलाया।

बाबा आमटे भारत छोड़ो आंदोलन में भी शामिल थे और इन्होने अपने खुद के मिशन की शुरुआत इस यात्रा से की। उनके इस मिशन में सर्वाधिक लोग 35 वर्ष की उम्र से कम के थे। जिनके अंदर देश के लिए कुछ कर गुजरने का भरपूर जज्बा था इसलिए उन्हों बाबा आमटे यस उस यूथ इमरजेंसी सर्विस कहते थे।

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