Uttarakhand UCC: उत्तराखंड में यूसीसी मसौदा क्या है? यह कैसे गोवा से अलग है? यहाँ जानिए

Uttarakhand UCC: आजकल उत्तराखंड राज्य में यूसीसी लागू होने की चर्चाएं हैं। लोगों का कहना है कि गोवा के बाद देश के दूसरे राज्य में UCC (सामान नागरिक संहिता) लागू होने जा रही है। लेकिन आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि उत्तराखंड UCC लागू करने वाला देश का पहले राज्य बनेगा।

Uttarakhand UCC: उत्तराखंड में यूसीसी मसौदा क्या है? यह कैसे गोवा से अलग है? यहाँ जानिए
Uttarakhand UCC

साथ ही बताया जा रहा है कि गोवा के यूसीसी से उत्तराखंड से बेहतर होगा। आइए जानते हैं आखिर UCC (Uniform Civil Code) आखिर है क्या और यह किस तरह से गोवा से अलग है। इसके लिए आपको हमारा पूरा आर्टिकल पढ़ना पड़ेगा। जहाँ पर uttarakhand ucc bill in hindi की पूरी जानकारी दी गई है।

UCC kya hai ?

UCC की फुल फॉर्म होती है Uniform Civil Code यानि सामान नागरिक संहिता, जैसे कि इसके नाम से ही स्पष्ट है सभी नागरिकों के लिए एक सामान कानून। भारत में हर धर्म के लोग रहते हैं जिस कारण भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और यहाँ के नियम कानून संविधान द्वारा बनाए गए नियमों पर ही चलता है।

लेकिन यहाँ पर अलग-अलग धर्म, जाति लोग रहते हैं और उनके अपने धर्म ग्रंथों के बनाए नियम कानून हैं जिसे वो संविधान से ऊपर मानते हैं। इस कारण कई बार सिविल मामलों पर वो संवैधानिक क़ानून को न मानकर अपने धार्मिक परम्पराओं को आगे ले आते हैं। जिस कारण कोर्ट में बहुत से मामले रुक जाते हैं।

Uttarakhand UCC: उत्तराखंड में यूसीसी मसौदा क्या है? यह कैसे गोवा से अलग है? यहाँ जानिए
Uttarakhand UCC Bill

इन्ही सब चीज़ों को ध्यान में रखते हुए यह कानून लाया जा रहा है। जिसमें सभी नागरिकों पर सिविल मामलों मेंसामान कानून लागू होगा चाहे वह किसी भी जाति धर्म का क्यों न हो।

भारत में जिन भी राज्यों में अभी तक यूसीसी लागू नहीं है वह पर अभी भी वहां पर शाद, तलाक या कोई उत्तराधिकार के मामलों में धर्म की परम्परों के अनुरूप कानून लागू होता है। लेकिन जिस राज्य में UCC लागू हो जाए वहां पर ये सभी धार्मिक कानून हट जाते हैं। इसीलिए UCC को लेकर विरोध भी हो रहे हैं।

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गोवा से बेहतर है Uttarakhand UCC जानिए कैसे ?

गोवा में पुर्तगालियों ने करीब 450 साल तक राज किया है। ये यहाँ पर 1510 ईस्वी में आए थे तथा भारत में सबसे पहले आने ये प्रथम यूरोपीय शासक थे। उन्होंने वहां पर 1867 में UCC लागू कर दिया था और इसे पुर्तगाली सिविल कोड नाम दिया था। इसलिए जब गोवा का जब भारत में 1961 में विलय हुआ तो वहां पर पहले से ही यूसीसी लागू था।

गोवा सामान नागरिक संहिता के प्रावधानउत्तराखंड सामान नागरिक संहिता प्रावधान
माँ-बाप अपने बच्चों को विरासत से बेदखल नहीं कर सकते हैं।पति-पत्नी के जीवित रहते
दूसरी शादी करना संभव नहीं है।
तलाक के मामले में संपत्ति का आधा हिस्सा पत्नी
को पाने का अधिकार है।
विवाह का रजिस्ट्रेशन सभी के लिए
अनिवार्य किया गया है।
प्रत्येक पति-पत्नी को मालिकाना अथवा प्राप्त
जमीन पर बराबरी का हक दिया गया है।
संपत्ति में महिलाओं को भी पुरुषों की तरह एकसमान अधिकार दिया गया है।
जिन मुस्लिम पुरुषों की शादी रजिस्टर्ड हैं, वह बहु विवाह नहीं कर सकते हैं, मौखिक तलाक का प्रावधान नहीं है।सभी समुदाय की युवतियों के विवाह की
उम्र समान रखी जाएगी।
चर्च में शादी करने वाले कैथोलिक को यूसीसी के
तलाक से बाहर रखा गया है।
जायज-नाजायज संतानों का
भेदभाव होगा खत्म।
हिंदू पुरुष पहली पत्नी से बच्चा पैदा न होने पर
दूसरा विवाह करने के लिए योग्य हैं।
लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है।
अन्य समुदायों के लिए विवाह का नागरिक पंजीकरण ही
प्रमाण पत्र के रूप में मंजूर किया जाएगा।
बुजुर्गों की देखभाल के लिए भरण-पोषण का प्रावधान किया गया है।

उत्तराखंड यूसीसी के महत्वपूर्ण बिंदु

  • विवाह पंजीकरण करना अनिवार्य है।
  • महिलाओं की शादी की उम्र 21 वर्ष।
  • एक से अधिक विवाह करना गैरकानूनी।
  • पति और पत्नी को तलाक लेने का एकसमान हक।
  • इद्दत और हलाला प्रथा पर रोक।
  • लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य।
  • जनसँख्या नियंत्रण पर सिफारिश।

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